Wednesday, 28 June 2017

!! fgaxykt ekrk izlUUk !!

|| हिंगुले परम हिंगुले अमृतरूपिणि तनुशक्तिमनःशिवे  ||
श्री हिंगुलाय नमः

ijHk.kh iklqu mRrj fn’skyk 15 fd- eh- varjkoj ukan[ksMkP;k iq<s fgaxyk gs xko vkgs- bFks Jh- fgaxykt ekrk ;kaps Qkj tqus tkx`r nsoLFkku ¼eanhj½ nq/kuk unhP;k dkBsyk vkgs- gs nsoLFkku lqekjs 110 o”ksZ tqus vlqu] gs Hkkjrkrhy 51 nsfops ‘kDrhihBkrhy ighys ‘kDrhihB vkgs- fgaxyk xkokr vkbZps ¼nsfops½ f’kj iMysys vlqu gs tkx`r nsoLFkku vkgs- fgaxyk xkokr g;k eanhjkyk y{eh ekrkps eanhj vls Eg.krkr- nl&;kP;k fno’kh vkbZ leksj ;K vlrks o HkaMkjk Bsoyk tkrks- ;k xkokph yksdla[;k gh toGikl 350 vkgs loZ tkrhps yksd nqjnqjP;k xkokgqu g;k nsohP;k n’kZukyk ;srkr-


Hinglaj mataji mandirhttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=1403470332 is situated in hinglajpura village. http://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=B003YCI1XEnearest mehsanahttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=1157200346 districthttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=B0036EBAF6,gujarat. http://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=B000O1PKO6This Teerath is famous and old in human history. The devotees from all part of the world used to come for Hinglaj Mataji. Even Hindus Ram Avatar.http://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=B0017U6OCU Great Saint Guru Gorakh Nath, Great Sainhttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=0821228161t Guru Nanak Sahib, Dada Mekhan,Avtar of Laxman, and other great Saints, Rishes and Hindu scholarspaid visits to Hinglaj Teerath hinglajpura. Peoplehttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=B002PXVZ0E that experience possessions by the goddess Hinglaj maa are said to sprinkle vermillion (red powderhttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=B000Y3JB4E) from their hands. That is believed to be the miracle of Maa Hinglaj. They say that she cures all diseases and relieves the distressedhttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=1932159185.Hinglaj Mataji, is not very well known of or herd about because of her temple being situated in Hinglajpura, mehsana, gujarat. she has helped many devotees overcome challenges and follow the path of righteousnesshttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=1932236163. There are many myths of Hinglaj Mataji; however one seems most interesting to her personality.it is beautiful templehttp://www.assoc-amazon.com/e/ir?t=wwwgujaratten-20&l=btl&camp=213689&creative=392969&o=1&a=B0000DD57Z, nearest my village gambhu, also maguna,motap,bodla,devinapura,laljinagar,deloli etc


|| ओम ह िंगुले परम ह िंगुले अमृत रूपपनी तनु शक्ती मनः पशवे ओम श्री ह िंगुले नमः||
नवसाला पावणारी ह िंगुलाज देवीचे चमत्कारी मिंददर जे परभणी पासून उत्तर ददशेला १२ दक.पम अिंतरावर नाद्खेडाच्या पुढे आ े. े मिंददर ४५० वर्ष जुने असून े मिंददर ज्या गावात आ े त्या गावाचे नाव ह िंगला आ े. पवर्ेश त : े देवीचे ५१ शक्तीपीठ पैकी प ीले शक्तीपीठ आ े. कारण भारतात ह िंगला नावाचे गाव कोठे ी ना ी आपण े मिंददर दुधना नदीच्या काठावर आ े.
ह्या मिंददरला ह िंगला गावत लपमम देवी चे मिंददर म् णतात । कारण जेव् ा कधी ह िंगला गावात सिंकट येते तेव् ा प ह िंगला देवी त्या सिंकट दूर करते.
नवरात्री मध्ये पवपवध प्रकारचे देवीचे कायषक्रम घेतले जातात. त्यात ोम- वन व अन्नदानाचे कायषक्रम घेतले जातात. सवष जातीचे देवीभक्त ह िंगला देवीच्या दशषना कररता दूर-दुरून येतात. प देवी सवाषचे मनोकामना पूणष करते. मिंददर फार जुने आ े आपण मिंददराला नवीन तयार करायाचे आ े. यासाठी आम् ी सारे कायषरत आ ोत. आपल्या सवाषना पवनिंती आ े दक आपण सवाषनी एकदा तरी ह िंगला देवीच्या दशषना कररता यावे प पवनिंती.

माता हहिंगुलाज का उद्भव दक्ष यज्ञ के समय जब माता सती ने आत्मदाह कर ललया एविं इसके पश्चात् भगवन लिव माता के मृत िरीर को लेकर ब्र􀆺ाण्ड के चक्कर काटने लगे - ब्र􀆺ाण्ड का सिंतुलन डगमगाने लगा उस समय सभी देवताओिं की प्रार्थना के फलस्वरूप भगवान् ववष्णु ने सुदिथन चक्र को आदेि हदया हक सती के मृत िरीर हक लिन्न - लभन्न कर दो उस समय सुदिथन चक्र ने सती के अिंगो को काटना प्रारम्भ हकया और इस क्रम में माता के ब्र􀆺रिंध्र का हहस्सा जहााँ पर लगरा वहााँ एक िविपीठ का अस्स्तत्व बना स्जसे ( हहिंगुल / हहिंगुलाज ) िविपीठ के नाम से जाना जाता है -! यह िवि पीठ भारत से बाहर पाहकस्तान में अवस्स्र्त है ( कराची िहर से १२५ हकलोमीटर उत्तर पूवथ बलूलचस्तान क्षेत्र में ) यहााँ हक अलिष्ठात्री िवि कोट्टरी और भैरव भीमलोचन के नाम से जाने जाते हैं -! आने वाले नवरात्रों और माता हहिंगुलाज के भिों हक मािंग पर मैं माता हहिंगुलाज हक पूजा ववलि का वणथन करने जा रहा हूाँ स्जसका आिार वैहदक और षोडिोपचार पूजन है - हकन्तु हकसी भी पूजन में सामर्थयथ बहुत महत्व रखती है इसललए जो भी भि इस ववस्तृत पूजन का वविान न कर सकें उनके ललए पिंचोपचार पूजन का वविान भी उनता ही महत्व रखता है और बराबर फल ही लमलता है -! लेहकन आलस्य और प्रमाद हक वजह से यहद वविान को िोटा करने हक कोलिि हक जाती है तो उसका पररणाम भी उसी तरह िोटा होता है - इसललए मैं अपने सभी वविानों में एक ही बात मुख्य रूप से सस्म्मललत करता हूाँ हक यहद सम्भव है और आपकी सामर्थयथ है तो वैहदक वविान का ही पालन करें यहद आपके पास सामर्थयथ नहीिं है तो लघु वविान का पालन करें - इसके अलतररि यहद मेरे ललखे हुए वविान और आपके पारम्पररक वविान में कोई ववषमता है तो आप अपने पारम्पररक / लोक वविान का पालन करें :-! माता को लाल रिंग एविं गुलाब का इत्र बहुत पसिंद है माता हक पूजा कई उपचारों से हक जाती है स्जसमे हक :- १. पिंचोपचार :- अ. गिंि ब. पुष्प स. िूप द. दीप य. नैवेद्य २. दिोपचार :- 1. पाद्य 2. अर्घयथ 3. आचमन 4. मिुपकथ 5. पुनराचमन 6. गन्ि 7. पुष्प
8. िूप
9. दीप
10. नैवेद्य
३. षोडिोपचार :- षोडिोपचार के मामले में कभी भी एक सामान क्रम और समान चरण नहीिं लमलते हैं क्योंहक
सािक के पास उपलब्ि सािनों और श्रद्धा तर्ा पूजा के प्रकार के आिार पर इनके क्रम और सिंख्या में पररवतथन हो
जाते हैं अतएव इस सम्बन्ि में भ्रलमत न हों और अपनी सामर्थयाथनुसार चरणों का अनुसरण करें ( जहााँ पर सिंख्या
बढ़ जाती है वहााँ वास्तव में मूल चरण के उप चरण जुड़ जाते हैं या जोड़ हदए जाते हैं जैसे हक उदाहरणार्थ -
मिुपकथ = दूि , दही , िक्कर / चीनी , घी , िहद - अब यहााँ पर यहद देखा जाये तो मिुपकथ के पािंच उप चरण
बन गए )
प्रर्म पूजन खिंड
आवाहन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय आगच्िय आगच्िय ::
आसन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय आसनिं समपथयालम ::
पाद्य
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय पाद्यिं समपथयालम ::
अर्घयथ
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय अर्घयं समपथयालम ::
आचमन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय आचमनीयिं लनवेदयालम ::
मिुपकथ
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय मिुपकं समपथयालम ::
आचमन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय पुनराचमनीयम ् लनवेदयालम ::
स्नान
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय स्नानिं लनवेदयालम ::
वस्त्र
1. ::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय प्रर्म वस्त्रिं समपथयालम ::
2. ::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय हितीय वस्त्रिं समपथयालम ::
आभूषण
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय आभूषणिं समपथयालम ::
लसन्दूर
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय लसन्दूरिं समपथयालम ::
कुिं कुम
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय कुिं कुमिं समपथयालम ::
गन्ि / इत्र
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय सुगस्न्ित द्रव्यिं समपथयालम ::
पुष्प
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय पुष्पिं समपथयालम ::
िूप / अगरबत्ती
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय िूपिं समपथयालम ::
दीप
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय दीपिं दिथयालम ::
नैवेद्य
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय नैवेद्यिं समपथयालम ::
प्रणामाज्जलल / पुष्पािंजलल
:: ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय नमः स्वाहा
ब्र􀆺रन्ध्रिं हहिंगुलायाम ् भैरवः भीमलोचनः
कोट्टरी सा महामाया वत्रगुणा या हदगम्बरी ::
पुष्पािंजललिं समपथयालम
नीराजन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय नीराजनिं समपथयालम ::
दस्क्षणा
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय दस्क्षणािं समपथयालम ::
अपरािा क्षमा याचना
अपरािसहस्रास्ण हक्रयिंतेऽहलनथििं मया ।
दासोऽयलमलत मािं मत्वा क्षमस्व परमेश्वरर ॥१॥
आवाहनिं न जानालम न जानालम ववसजनथ म ् ।
पूजािं चैव न जानालम क्षम्यतािं परमेश्वरर ॥२॥
मिंत्रहीनिं हक्रयाहीनिं भविहीनिं सुरेश्वरर ।
यत्पूस्जतिं मया देवव पररपूणथ तदस्तु मे ॥३॥
अपरािितिं कृ त्वा जगदिंबेलत चोचरेत ् ।
यािं गलतथ समबाप्नोलत न तािं ब्र􀆺ादयः सुराः ॥४॥
सापरािोऽस्स्म िरणिं प्राप्तस्त्वािं जगदिंवबके ।
ड्रदानीमनुकिं प्योऽहिं यर्ेच्िलस तर्ा कुरु ॥५॥
अज्ञानाहिस्मतृ ेभ्राथन्त्या यन्न्यूनमलिकिं कृ तम ् क।
तत्सवथ क्षम्यतािं देवव प्रसीद परमेश्वरर ॥६॥
कामेश्वरर जगन्मातः सस्च्चदानिंदववग्रहे ।
गृहाणाचाथलममािं प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरर ॥७॥
गुह्मालतगुह्मगोप्त्री त्विं गहृ ाणास्मत्कृ तिं जपम ् ।
लसवद्धभथवतु मे देवव त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरर ॥८॥

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