Wednesday, 28 June 2017

माता हहिंगुलाज का उद्भव दक्ष यज्ञ के समय जब माता सती ने आत्मदाह कर ललया एविं इसके पश्चात् भगवन लिव माता के मृत िरीर को लेकर ब्र􀆺ाण्ड के चक्कर काटने लगे - ब्र􀆺ाण्ड का सिंतुलन डगमगाने लगा उस समय सभी देवताओिं की प्रार्थना के फलस्वरूप भगवान् ववष्णु ने सुदिथन चक्र को आदेि हदया हक सती के मृत िरीर हक लिन्न - लभन्न कर दो उस समय सुदिथन चक्र ने सती के अिंगो को काटना प्रारम्भ हकया और इस क्रम में माता के ब्र􀆺रिंध्र का हहस्सा जहााँ पर लगरा वहााँ एक िविपीठ का अस्स्तत्व बना स्जसे ( हहिंगुल / हहिंगुलाज ) िविपीठ के नाम से जाना जाता है -! यह िवि पीठ भारत से बाहर पाहकस्तान में अवस्स्र्त है ( कराची िहर से १२५ हकलोमीटर उत्तर पूवथ बलूलचस्तान क्षेत्र में ) यहााँ हक अलिष्ठात्री िवि कोट्टरी और भैरव भीमलोचन के नाम से जाने जाते हैं -! आने वाले नवरात्रों और माता हहिंगुलाज के भिों हक मािंग पर मैं माता हहिंगुलाज हक पूजा ववलि का वणथन करने जा रहा हूाँ स्जसका आिार वैहदक और षोडिोपचार पूजन है - हकन्तु हकसी भी पूजन में सामर्थयथ बहुत महत्व रखती है इसललए जो भी भि इस ववस्तृत पूजन का वविान न कर सकें उनके ललए पिंचोपचार पूजन का वविान भी उनता ही महत्व रखता है और बराबर फल ही लमलता है -! लेहकन आलस्य और प्रमाद हक वजह से यहद वविान को िोटा करने हक कोलिि हक जाती है तो उसका पररणाम भी उसी तरह िोटा होता है - इसललए मैं अपने सभी वविानों में एक ही बात मुख्य रूप से सस्म्मललत करता हूाँ हक यहद सम्भव है और आपकी सामर्थयथ है तो वैहदक वविान का ही पालन करें यहद आपके पास सामर्थयथ नहीिं है तो लघु वविान का पालन करें - इसके अलतररि यहद मेरे ललखे हुए वविान और आपके पारम्पररक वविान में कोई ववषमता है तो आप अपने पारम्पररक / लोक वविान का पालन करें :-! माता को लाल रिंग एविं गुलाब का इत्र बहुत पसिंद है माता हक पूजा कई उपचारों से हक जाती है स्जसमे हक :- १. पिंचोपचार :- अ. गिंि ब. पुष्प स. िूप द. दीप य. नैवेद्य २. दिोपचार :- 1. पाद्य 2. अर्घयथ 3. आचमन 4. मिुपकथ 5. पुनराचमन 6. गन्ि 7. पुष्प
8. िूप
9. दीप
10. नैवेद्य
३. षोडिोपचार :- षोडिोपचार के मामले में कभी भी एक सामान क्रम और समान चरण नहीिं लमलते हैं क्योंहक
सािक के पास उपलब्ि सािनों और श्रद्धा तर्ा पूजा के प्रकार के आिार पर इनके क्रम और सिंख्या में पररवतथन हो
जाते हैं अतएव इस सम्बन्ि में भ्रलमत न हों और अपनी सामर्थयाथनुसार चरणों का अनुसरण करें ( जहााँ पर सिंख्या
बढ़ जाती है वहााँ वास्तव में मूल चरण के उप चरण जुड़ जाते हैं या जोड़ हदए जाते हैं जैसे हक उदाहरणार्थ -
मिुपकथ = दूि , दही , िक्कर / चीनी , घी , िहद - अब यहााँ पर यहद देखा जाये तो मिुपकथ के पािंच उप चरण
बन गए )
प्रर्म पूजन खिंड
आवाहन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय आगच्िय आगच्िय ::
आसन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय आसनिं समपथयालम ::
पाद्य
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय पाद्यिं समपथयालम ::
अर्घयथ
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय अर्घयं समपथयालम ::
आचमन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय आचमनीयिं लनवेदयालम ::
मिुपकथ
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय मिुपकं समपथयालम ::
आचमन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय पुनराचमनीयम ् लनवेदयालम ::
स्नान
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय स्नानिं लनवेदयालम ::
वस्त्र
1. ::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय प्रर्म वस्त्रिं समपथयालम ::
2. ::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय हितीय वस्त्रिं समपथयालम ::
आभूषण
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय आभूषणिं समपथयालम ::
लसन्दूर
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय लसन्दूरिं समपथयालम ::
कुिं कुम
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय कुिं कुमिं समपथयालम ::
गन्ि / इत्र
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय सुगस्न्ित द्रव्यिं समपथयालम ::
पुष्प
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय पुष्पिं समपथयालम ::
िूप / अगरबत्ती
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय िूपिं समपथयालम ::
दीप
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय दीपिं दिथयालम ::
नैवेद्य
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय नैवेद्यिं समपथयालम ::
प्रणामाज्जलल / पुष्पािंजलल
:: ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय नमः स्वाहा
ब्र􀆺रन्ध्रिं हहिंगुलायाम ् भैरवः भीमलोचनः
कोट्टरी सा महामाया वत्रगुणा या हदगम्बरी ::
पुष्पािंजललिं समपथयालम
नीराजन
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय नीराजनिं समपथयालम ::
दस्क्षणा
::ॐ हहिंगुले परम हहिंगुले अमृतरूवपणी तनुिवि
मनः लिवे श्री हहिंगुलाय दस्क्षणािं समपथयालम ::
अपरािा क्षमा याचना
अपरािसहस्रास्ण हक्रयिंतेऽहलनथििं मया ।
दासोऽयलमलत मािं मत्वा क्षमस्व परमेश्वरर ॥१॥
आवाहनिं न जानालम न जानालम ववसजनथ म ् ।
पूजािं चैव न जानालम क्षम्यतािं परमेश्वरर ॥२॥
मिंत्रहीनिं हक्रयाहीनिं भविहीनिं सुरेश्वरर ।
यत्पूस्जतिं मया देवव पररपूणथ तदस्तु मे ॥३॥
अपरािितिं कृ त्वा जगदिंबेलत चोचरेत ् ।
यािं गलतथ समबाप्नोलत न तािं ब्र􀆺ादयः सुराः ॥४॥
सापरािोऽस्स्म िरणिं प्राप्तस्त्वािं जगदिंवबके ।
ड्रदानीमनुकिं प्योऽहिं यर्ेच्िलस तर्ा कुरु ॥५॥
अज्ञानाहिस्मतृ ेभ्राथन्त्या यन्न्यूनमलिकिं कृ तम ् क।
तत्सवथ क्षम्यतािं देवव प्रसीद परमेश्वरर ॥६॥
कामेश्वरर जगन्मातः सस्च्चदानिंदववग्रहे ।
गृहाणाचाथलममािं प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरर ॥७॥
गुह्मालतगुह्मगोप्त्री त्विं गहृ ाणास्मत्कृ तिं जपम ् ।
लसवद्धभथवतु मे देवव त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरर ॥८॥

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!! fgaxykt ekrk izlUUk !! || ॐ हिंगुले परम हिंगुले अमृतरूपिणि तनुशक्तिमनःशिवे   ॐ || श्री हिंगुलाय नमः ijHk.kh iklqu mRrj...